रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ - The Indic Lyrics Database

रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - ग़ज़ल | वर्ष - 1964

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रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ
ये मुरादों की हसीन रात किसे पेश करूँ
मैने जज़बात निभाए है उसूलों की जगह
अपने अरमान पिरो लाया हूँ फूलों की जगह
तेरे सेहरे की ये सौगात किसे पेश करूँ
ये मेरे शेर मेरे आखिरी नज़राने हैं
मैं उन अपनों में हूँ जो आज से बेगाने हैं
बेतअल्लुक सी मुलाक़ात किसे पेश करूँ
सुर्ख जोड़े की तब-ओ-ताब मुबारक हो तुझे
तेरी आँखों का नया ख्वाब मुबारक हो तुझे
मैं ये ख्वाहिश, ये ख़यालात किसे पेश करूँ
कौन कहता है के चाहत पे सभी का हक़ है
तू जिसे चाहे तेरा प्यार उसी का हक़ है
मुझ से कह दे, मैं तेरा हाथ किसे पेश करूँ