पनघट पे देखो आई मिलन की बेला - The Indic Lyrics Database

पनघट पे देखो आई मिलन की बेला

गीतकार - साहिर | गायक - रफ़ी, गीता, सहगान | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - नौजवान | वर्ष - 1951

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( पनघट पे देखो आई मिलन की बेला
ला )
ठुमक-ठुमक राधे चोरी-चोरी आई
ओ जी जी जी जी जी जी जी
सखियों से पूछे कित छुपे हैं कन्हाई
ओ जी जी जी जी जी जी जी
हाय बन्सी की धुन सुन सुध बिसराई
ओ जी जी जी जी जी जी जी
मन हुआ बावरा नहीं मनाये माने रे
पनघट पे देखो आई मिलन की बेला
ला

रूप ये किसका है तेरे
मेरे मन को भा गया
कौन ये नैनों में मेरे
रंग बन के छा गया
छा गया रे छा गया
कोई गुप-चुप गुप-चुप गाये
ह्रिदय में चुपके चुपके चुपके
धड़कन में बसता जाये
रे चुपके चुपके चुपके चुपके
मन हुआ बावरा नहीं मनाये माने रे
कुंजन में देखो आई मिलन की बेला

आज नैनों में किसी के
मेरी दुनिया खो गई
हो गया मेरा कोई
और मैं किसी की हो गई
हो गई रे हो गई
( झन झनन झनन लहराई
पायलिया मोरी मोरी मोरी )
मैं पिया से मिलने आई रे
चोरी चोरी चोरी चोरी
मन हुआ बावरा नहीं मनाये माने रे
कुंजन में देखो आई मिलन की बेला
ओ जी जी जी जी जी जी जी
मन हुआ बावरा नहीं मनाये माने रे
पनघट पे देखो आई मिलन की बेला
ला
बेला
ला