अपने काई रूप हैं लोग कहते हैं लफंगे हैं - The Indic Lyrics Database

अपने काई रूप हैं लोग कहते हैं लफंगे हैं

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - बुदढ़ा मिल गया | वर्ष - 1971

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लोग कहते है के हम लफंगे है
लोग कहते है के हम लफंगे है
हम लफ़ंगे नहीं है पतंगे है
हम लफ़ंगे नहीं है पतंगे है
लफंगे नहीं हम पतंगे है
लोग कहते है के हम लफंगे है

अपने कई रूप है इसलिए
अपने कई रूप है इसलिए
लोग हुमको कहते है बहरूपिये
चहरे से न हुमको पहचानिये
हम कितने रंगों में रंगे है
लोग कहते है के हम लफंगे है

अपने खयालों में जो है हंसी
अपने खयालों में जो है हंसी

एक दिन मिलेगी कही न कही
किस्मत बुरी है बुरे हम नहीं
हम इंसान दिल के चेंज है
लोग कहते है के हम लफंगे है

यारो की खली दुआ चाहिए
यारो की खली दुआ चाहिए
अपने लिए हमको क्या चाहिए
उनके दुखो की दवा चाहिए
प्यासे है जो भूखे नंगे है
लोग कहते है के हम लफंगे है
लोग कहते है के हम लफंगे है
हम लफ़ंगे नहीं है पतंगे है
हम लफ़ंगे नहीं है पतंगे है
लफंगे नहीं हम पतंगे है
लोग कहते है के हम लफंगे है.