दास्ताँ ए ओम शांति ओम - The Indic Lyrics Database

दास्ताँ ए ओम शांति ओम

गीतकार - Nil | गायक - शान | संगीत - विशाल - शेखर | फ़िल्म - ओम शांति ओम | वर्ष - 2007

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सुनने वालों
सुनो ऐसा भी होता है
दिल देता है जो
वो जान भी खोता है
प्यार ऐसा जो करता है
क्या मर के भी मरता है
आओ तुम भी आज सुन लो
दास्ताँ है ये कि एक था नौजवां
जो दिल ही दिल में एक हसीना का था दीवाना
वो हसीना थी के जिसकी खूबसूरती
का दुनिया भर में था मशहूर अफ़साना
दोनों की ये कहानी है जिसको सभी
कहते हैं ओम शांति ओम
नौजवां की थी आरज़ू
उसकी थी यही जुस्तजू
उस हसीना में उसको मिले
इश्क़ के सारे रंग-ओ-बू
उसने न जाना ये नादानी है
वो रेत को समझा के पानी है
क्यों ऐसा था किसलिए था
ये कहानी है
दास्ताँ है ये उस दिलकश हसीना के
निगाहों दिल में कोई दूसरा ही था
बेखबर इस बात से उस नौजवां के
ख़्वाबों का अंजाम तो होना बुरा ही था
टूटे ख़्वाबों की इस दास्ताँ को सभी
कहते हैं ओम शांति ओम
सुनने वालों सुनो ऐसा भी होता है
कोई जितना हँसे उतना ही रोता है
दीवानी होके हसीना
खाई क्या धोखे हसीना
आओ तुम भी आज सुन लो
दास्ताँ है ये कि उस मासूम हसीना ने
जिसे चाहा वो था अंदर से हरजाई
संगदिल से दिल लगा के
बेवफ़ा के हाथ आके
उसने एक दिन मौत ही पाई
एक सितम
का फ़साना
है जिसको सभी
कहते हैं ओम शांति ओम
क्यों कोई क़ातिल समझता नहीं
ये जुर्म वो है जो छुपता नहीं
ये दाग़ वो है जो मिटना नहीं
रहता है खुनी के हाथ पर
खून उस हसीना का जब था हुआ
कोई वहाँ था पहुँच तो गया
लेकिन उसे वो बचा न सका
रोया था प्यार उसकी मौत पर
दास्ताँ है ये की
जो पहचानता है
खुनी को
वो नौजवां है लौट के आया
कह रही है ज़िन्दगी
क़ातिल समझ ले
उसके सर पे
छा चूका है मौत का साया
जन्मों की
कर्मों की
है कहानी जिसे
कहते हैं ओम शांति ओम