दर्पण को देखा, तूने जब जब किया सिंगार - The Indic Lyrics Database

दर्पण को देखा, तूने जब जब किया सिंगार

गीतकार - इन्दीवर | गायक - मुकेश | संगीत - कल्याणजी आनंदजी | फ़िल्म - उपासना | वर्ष - 1971

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दर्पण को देखा, तूने जब जब किया सिंगार
फूलों को देखा, तूने जब जब आई बहार
एक बदनसीब हूँ मैं मुझे नहीं देखा एक बार
सूरज की पहली किरनों को, देखा तूने अलसाते हुये
रातों में तारों को देखा, सपनों में खो जाते हुये
यूँ किसी ना किसी बहाने तूने देखा सब संसार
काजल की क़िस्मत क्या कहिये, नैनों में तूने बसाया
आँचल की क़िस्मत क्या कहिये, तूने अंग लगाया है
हसरत ही रही मेरे दिल में बनूँ तेरे गले का हार