पास आके हुए - The Indic Lyrics Database

पास आके हुए

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - रफ़ी, लता | संगीत - हुस्नलाल -भगतराम | फ़िल्म - मीना बाजार | वर्ष - 1950

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पास आके हुए ( हम दूर )
यही था क़िस्मत को मंज़ूर
( नहीं तुमसे मुझे गिला कोई ) दुनिया की रीत पुरानी है
कोई हँसने पर ( मजबूर यहाँ ) कोई रोने पर मजबूर
यही था क़िस्मत को
( ओ मेरे आँसू देखने वालों ) ( देना मेरी गवाही )
मेरे पिया से ( ये कह देना ) नहीं मेरा कोई क़सूर हाय क़सूर
यही था क़िस्मत को
( रोने वाले क्यूँ रोता है ) ऐसा ही प्यार में होता है
हो परवाने इस महफ़िल में हाय महफ़िल में है जलने का दस्तूर
यही था क़िस्मत को