हमें तो शाम-ए-ग़म में काटनी है ज़िंदगी अपनी - The Indic Lyrics Database

हमें तो शाम-ए-ग़म में काटनी है ज़िंदगी अपनी

गीतकार - एम जी अदीब या असगर सरहदी | गायक - नूरजहां | संगीत - फ़िरोज़ निज़ामी | फ़िल्म - जुगनू | वर्ष - 1947

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हवा में उड़ता जाये

हवा में उड़ता जाये

मेरा लाल दुपट्टा मलमल का हो जी, हो जी

इधर उधर लहराये

मेरा लाल दुपट्टा मलमल का हो जी, हो जी



थर थर थर थर हवा चली

हाय जियरा डगमग डोले

फर फर फर फर उड़े चुनरिया

घूँघट मोरा खोले

हवा में उड़ता जाये



झर झर झर झर झरना बहता

ठण्डा ठण्डा पानी

घूँघरू बाजे ठुमक ठुमक

चाल हुई मस्तानी

हवा में उड़ता जाये