यह हसरत थी के इस दुनिया में - The Indic Lyrics Database

यह हसरत थी के इस दुनिया में

गीतकार - परवेज शम्सी | गायक - रफी | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - नौशेरवां-ए-आदिल | वर्ष - 1957

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यह हसरत थी के इस दुनिया में बस दो काम कर जाते
तुम्हारी याद में जीते, तुम्हारे ग़म में मर जाते
यह दुनिया डूबती तूफ़ान आता इस क़यामत का
अगर दम भर को आँखों में मेरी आँसू ठहर जाते
तुम्हारी याद आ-आकर मेरे नश्तर चुभोती है
मगर न दिल के सारे ज़ख़्म इतने दिन में भर जाते
कहाँ तक दुख उठाएं तेरी फ़ुर्क़त और जुदाई के
अगर मरना ही था एक दिन, न क्यूँ फिर आज मर जाते$