हम तो अलबेले मज़दूर गज़ब हमारी जादूगरी - The Indic Lyrics Database

हम तो अलबेले मज़दूर गज़ब हमारी जादूगरी

गीतकार - प्रदीप | गायक - प्रदीप, सहगान | संगीत - NA | फ़िल्म - बंधन | वर्ष - 1940

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हरे भरे बाग़ के फूलों पे रीझा खैय्याम

हरे भरे बाग़ के फूलों पे रीझा खैय्याम

हाँ

तारों का शैदा हुआ

चाँद में खोया खैय्याम

हरे भरे बाग़ के फूलों पे रीझा खैय्याम

प्यारी प्यारी सूरतें

पहलू से दिल ले गईं

बन गया कुछ रोज़ में

हुस्न का बन्दा खैय्याम

हरे भरे बाग़ के फूलों पे रीझा खैय्याम

लेकिन मुझे मालूम हुआ

कि यहाँ की हर चीज़ फ़ानी है

फ़ानी चीज़ का

प्यार भी फ़ानी

लहर ये दिल में आई

छोड़ के आखिर सब कुछ मैने

लौ मालिक से लगाई

भूल गया हर चीज़ यहाँ की

इश्क़एख़ुदा में खोया

अल्ला हू के रंग में रंग कर

मसज़िद दिल में बनाई

फ़ानी चीज़ का

प्यार भी फ़ानी

फिर तो मेरी आँखों को

ज़र्रेज़र्रे में वो ही वो नज़र आने लगा

प्यार से मैने कलियों को चूमा

बुलबुलों के तराने पे झूमा

हुस्न को उसका जलवा समझ कर

मैं हसीनों के मजमें में घूमा

मेरे दिल में समाया वो ही वो