ये दुनिया ग़म का - The Indic Lyrics Database

ये दुनिया ग़म का

गीतकार - हसरत | गायक - रफ़ी, सहगान | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - सीमा | वर्ष - 1955

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ये दुनिया ग़म का मेला है
मुसीबत की कहानी है
कोई रोये कोई गाये
अजब ये ज़िंदगानी है

हमें भी दे दो
हमें भी दे दो सहारा के बेसहारे हैं
हमें भी दे दो सहारा के बेसहारे हैं
फ़लक़ की गोद से टूटे हुये सितारे हैं
हमें भी दे दो सहारा
भरा हो पेट तो

भरा हो पेट तो सन्सार जगमगाता है
भरा हो पेट तो सन्सार जगमगाता है
सताये भूख तो ईमान डगमगाता है
सताये भूख तो ईमान डगमगाता है
सताये भूख तो ईमान डगमगाता है
भलाई कीजीये

भलाई कीजीये दो दिन के ये नज़ारे हैं
हमें भी दे दो सहारा के बेसहारे हैं
फ़लक़ की गोद से टूटे हुये सितारे हैं
हमें भी दे दो सहारा
तेरे जहान से

तेरे जहान से मालिक बता किधर जाये
तेरे जहान से मालिक बता किधर जाये
तेरे हुज़ूर में रह कर भी ठोकरें खायें
तेरे हुज़ूर में रह कर भी ठोकरें खायें
तेरे हुज़ूर में रह कर भी ठोकरें खायें
ग़रीब ही सही

ग़रीब ही सही आख़िर तो हम तुम्हारे हैं
हमें भी दे दो सहारा के बेसहारे हैं
फ़लक़ की गोद से टूटे हुये सितारे हैं
हमें भी दे दो सहारा$