फिर फसले(sic) बहार आई दिले दीवाना - The Indic Lyrics Database

फिर फसले(sic) बहार आई दिले दीवाना

गीतकार - डाॅ सफदर"आह" | गायक - NA | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - रोटी | वर्ष - 1942

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फूलों का सपना देखने वालो

फूलों का सपना देखने वालो

काटों पे चलना सीख लो, अजी ओ

अपने हाथों अपनी क़िस्मत

खुद बदलना सीख लो

हाये रे, फूलों का सपना

बड़े अटपटे जगत के रस्ते

चले चलो रे भई रोते हसते

यहाँ भूलभूलैया कहीं कहीं

हैं तालतलैया कहीं कहीं

धोखे का जाल है हर तरफ़

ज़रा बचके निकलना सीख लो

हाये रे, फूलों का सपना

मत आने दो आँख में पानी

कमजोरी की है येह निशानी

बादल की कड़क से मत डरो

बिजली की तड़क से मत डरो

तुम तूफ़ानों के बीच भी

बेधड़क टेहलना सीख लो

ठोकर पे ठोकर लगें, मगर

तुम फिर भी सँभलना सीख लो

हाये रे, फूलों का सपना