माना के मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़कर नहीं हूँ मैं - The Indic Lyrics Database

माना के मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़कर नहीं हूँ मैं

गीतकार - मुजफ्फर वारसी | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - Nil | वर्ष - Nil

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माना के मुश्त-ए-ख़ाक से बढ़कर नहीं हूँ मैं
लेकिन हवा के रहम-ओ-करम नहीं हूँ मैं
इन्सान हूँ धड़कते हुए दिल पे हाथ रख
यूँ डूबकर न देख समुंदर नहीं हूँ मैं
चेहरे पे मल रहा हूँ सियाही नसीब की
आईना हाथ में है सिकंदर नहीं हूँ मैं
ग़ालिब तेरी जमीन में लिखी तो है ग़ज़ल
तेरे कद-ए-सुखन के बराबर नहीं हूँ मैं