ऐ दिल-ए-नादां - The Indic Lyrics Database

ऐ दिल-ए-नादां

गीतकार - जां निसार अख्तर | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - रजिया सुल्तान | वर्ष - 1983

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ऐ दिल-ए-नादान, ऐ दिल-ए-नादान
आरज़ू क्या है, जुस्तजू क्या है
हम भटकते हैं, क्यों भटकते हैं, दश्तों-सेहरा में
ऐसा लगता है, मौज प्यासी है अपने दरिया में
कैसी उलझन है, क्यों ये उलझन है
एक साया सा रूबरू क्या है
क्या कयामत है, क्या मुसीबत है
कह नहीं सकते, किसका अरमां है
ज़िन्दगी जैसे खोई खोई है, हैरां हैरां है
ये ज़मीं चुप है, आसमां चुप है
फिर ये धड़कन सी चार-सू क्या है
ऐ दिल-ए-नादान, ऐसी राहों में कितने काँटे हैं
आरजूओं ने हर किसी दिल को दर्द बाँटे हैं
कितने घायल हैं, कितने बिस्मिल हैं
इस खुदाई में एक तू क्या है