फिर आह दिल से निकली, टपका लहू जिगर से - The Indic Lyrics Database

फिर आह दिल से निकली, टपका लहू जिगर से

गीतकार - शकील | गायक - ज़ोहरा बाई | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - मेला | वर्ष - 1948

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फुलवारन लागे चोर, मलनिया सोय रही

फुलवारन लागे चोर, मलनिया सोय रही

हाँ हाँ मलनिया सोय रही

इन चोरन से

इन चोरन से चौकस रहियो

जाग रहे हर ओर

मलनिया सोय रही

हाँ हाँ मलनिया सोय रही

फुलवारन लागे चोर, मलनिया सोय रही

हाँ हाँ मलनिया सोय रही

दूजे चोर अंधियारा खोजें

छाया देख सहारा खोजें

फुलवारन के चोर निराले

इनको जैसे रैन अंधियारी

जैसे उजली भोर मलनिया जैसे उजली भोर

मलनिया सोय रही

हाँ हाँ मलनिया सोय रही

फुलवारन लागे चोर, मलनिया सोय रही

हाँ हाँ मलनिया सोय रही

दूजे चोर चुरावै ताली

सोना हीरा मानक मोती

फुलवारन के चोर क़यामत

सोने चाँदी की का बतिया

तनमन लेत मरोड़

मलनिया सोय रही

हाँ हाँ मलनिया सोय रही

फुलवारन लागे चोर, मलनिया सोय रही

हाँ हाँ मलनिया सोय रही