हुई है शाम तो आंखों में बस गया फिर तुउ - The Indic Lyrics Database

हुई है शाम तो आंखों में बस गया फिर तुउ

गीतकार - अहमौम फ़राज़ी | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली | फ़िल्म - जुनून (गैर फिल्म) | वर्ष - 1993

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हुई है शाम तो आँखों में बस गया फिर तू
कहाँ गया है मेरे शहर के मुसाफ़िर तूमैं जानता हूँ के दुनिया तुझे बदल देगी
मैं मानता हूँ के ऐसा नहीं ब-ज़ाहिर तूहँसी ख़ुशी से बिछड़ जा अगर बिछड़ना है
ये हर मक़ाम पे क्या सोचता है आख़िर तू'फ़राज़' तूने उसे मुश्क़िलों में डाल दिया
ज़माना साहिब-ए-ज़र और सिर्फ़ शाइर तू