झूमे रे कली भंवरा उलज गया कंतों में - The Indic Lyrics Database

झूमे रे कली भंवरा उलज गया कंतों में

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - गीता दत्त | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - नौकरी | वर्ष - 1954

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झूमे रे कली, भँवरा उलझ गया काँटों में -२
बन बन ढूँढे पवन शराबि -२
गगन कहे
गगन कहे, चुपके से फूल खिला काँटों में
झूमे रे कली, भँवरा उलझ गया काँटों मेंशाम-सवेरे दिल को घेरे, कौन मुझ पे जादू फेरे
सब समझावे प्रीत बुरी है -२
लगन कैसी
लगन कैसी, जीवन का चैन छुपा काँटों में
झूमे रे कली, भँवरा उलझ गया काँटों मेंमन में आके चैन चुराके, जो छुप जाये नींद उड़ाके -२
जब मैं उनका नाम पुकारूँ -२
नज़र कहे
नज़र कहे, आँचल का पूछ पता काँटों में
झूमे रे कली ...