दामन में दाग लगा बैठे - The Indic Lyrics Database

दामन में दाग लगा बैठे

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - एन. दत्ता | फ़िल्म - धूल का फूल | वर्ष - 1959

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वफ़ा के नाम पे कितने गुनाह होते हैं
ये उनसे पुछे कोई जो तबाह होते हैं
दामन में दाग़ लगा बैठे, हम प्यार में धोका खा बैठे
छोटी सी भूल जवानी की जो तुमको याद ना आएगी
उस भूल के ताने दे दे कर दुनिया हम को तड़पाएगी
उठते ही नज़र झुक जाएगी, आज ऐसी ठोकर खा बैठे
चाहत के लिए जो रस्मों को ठुकरा के गुज़रने वाले थे
जो साथ ही जीने वाले थे और साथ ही मरने वाले थे
तूफां के हवाले करके हमें, ख़ुद दूर किनारे जा बैठे
लो आज मेरी मजबूर वफ़ा, बदनाम कहानी बनने लगी
जो प्रेम निशानी पाई थी वो पाप निशानी बनाने लगी
दुःख देके हमें जीवन भर का, वो सुख की सेज सजा बैठे