हम हैं दुखिया इस दुनिया में दुखी है सन्सार - The Indic Lyrics Database

हम हैं दुखिया इस दुनिया में दुखी है सन्सार

गीतकार - नाजिम पानीपति, शम्स लखनवी | गायक - सुरैया | संगीत - गुलाम हैदर | फ़िल्म - जग बिती | वर्ष - 1946

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हमें तो शामएग़म में काटनी है ज़िंदगी अपनी

हमें तो शामएग़म में काटनी है ज़िंदगी अपनी

जहाँ वो है वहीं ऐ चाँद ले जा चाँदनी अपनी

अगर कुछ थी तो बस ये थी तमन्ना आख़िरी अपनी

कि तुम साहिल पे होते, और कश्ती डूबती अपनी

तक़ाज़ा है यही दिल का, वहीं चलिये, वहीं चलिये

वो महफ़िल, हाए जिस महफ़िल में दुनिया लुट गई अपनी

हमें तो शामएग़म में काटनी है ज़िन्दगी अपनी

ख़ुदा के पास से ज़ालिम, घड़ी भर के लिये आ जा

घड़ी भर के लिये आजा

बुझा है तेरे दामन पे शमाएज़िंदगी अपनी

हमें तो शामएग़म में काटनी है ज़िंदगी अपनी

हमें तो