मंजिल थी कहीं जाना था कहीं - The Indic Lyrics Database

मंजिल थी कहीं जाना था कहीं

गीतकार - गुलशन बावरा | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - राम तेरे कितने नाम | वर्ष - 1985

View in Roman

(मंज़िल थी कहीं जाना था कहीं
तक़दीर कहाँ ले आई है
कहने को तो महफ़िल है मगर
लगता है कि बस तन्हाई है) -२
मंज़िल थी कहीं जाना था कहीं(इन आँखों ने जो देखा है
क्या प्यार इसी को कहते हैं) -२
गर प्यार यही है महलों का
तो प्यार की ये रुसवाई है
मंज़िल थी कहीं ...(झूठी क़समें झूठे वादे
है रात नशीली का जादू) -२
उतरेगा नशा तो देखोगे
इस झूठ में क्या गहराई है
मंज़िल थी कहीं ...(शिकवा भी करें तो किससे करें
कोई तो समझने वाल हो) -२
हम बात करें क्या ग़ैरों की
अपनों से ठोकर खाई है
मंज़िल थी कहीं ...