हम दर्द का अफ़साना दुनिया को सुना देंगे - The Indic Lyrics Database

हम दर्द का अफ़साना दुनिया को सुना देंगे

गीतकार - शकील | गायक - शमशाद, सहगान | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - दर्द | वर्ष - 1947

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हमने किसी से सुनी कहानी

हमने किसी से सुनी कहानी

एक सफ़र है ये ज़िंदगानी

किसको पगले तू कहता है अपना

प्रेम की दुनिया का झूठा है सपना

उनका फूलों से रिश्ता ही क्या

जिनकी क़िस्मत काँटों के बीच पली रे

चली रे, चली रे मेरी नाव चली रे

न जाने किधर

न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे

चली रे, चली रे मेरी नाव चली रे

कल की बातों को भूल मेरे मनवा

प्रीत है दुःखों की मूल मेरे मनवा

सपने किसी के कभी होते न पूरे

रोज़ बनावो फिर भी अधूरे

बीते हुये सपनों का बोझा उठा ले

दूर कही दूर मेरी नाव चली रे

चली रे, चली रे मेरी नाव चली रे

न जाने किधर

न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे

चली रे, चली रे मेरी नाव चली रे