ये चार दिन बहार के - The Indic Lyrics Database

ये चार दिन बहार के

गीतकार - शकील | गायक - किशोर, आशा | संगीत - सज्जाद हुसैन | फ़िल्म - रुखसाना | वर्ष - 1955

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ये चार दिन बहार के
हँसी-ख़ुशी ग़ुज़ार के
भुला दो ज़िन्दगी के ग़म
निसार तुम पे दिल मेरा
कटेगी ज़िन्दगी सदा
तुम्हारे प्या में सनम
भुला दो ज़िन्दगी के ग़म
खिल्लि हुई है चाँदनी
छिड़ी हुई है रागिनी
नज़र-नज़र में मस्तियाँ
अदा-अदा में शोख़ियाँ
हमें तुम्हारी जुसतजू
तुम्हें हमारी आरज़ू
बढ़े ये प्यार दिन-ब-दिन
भुला दो ज़िन्दगी के ग़म
तुम्हारे दिल में हम रहें
हमारे दिल में तुम रहो
किसी से अपनी दास्ताँ
न हम कहें न तुम कहो
ज़माना चाहे कुछ कहे
ज़फ़ा करे सितम करे
जुदा न होंगे तुम से हम
भुला दो ज़िन्दगी के ग़म
दो: भुला दो ज़िन्दगी के ग़म $