माना जनाब ने पुकारा नहीं क्या मेरा साथ भी गंवारा नहीं - The Indic Lyrics Database

माना जनाब ने पुकारा नहीं क्या मेरा साथ भी गंवारा नहीं

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - पेइंग अतिथि | वर्ष - 1957

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माना जनाब ने पुकारा नहीं
क्या मेरा साथ भी गंवारा नहीं
मुफ़्त में बनके, चल दिये तन के, वल्लाह जवाब तुम्हारा नहीं
यारों का चलन है गुलामी, देते हैं हसीनों को सलामी
गुस्सा न कीजिये, जाने भी दीजिये
बंदगी तो, बंदगी तो, लिजिये साहब
टूटा फूटा दिल ये हमारा, जैसा भी है अब है तुम्हारा
इधर देखिये, नज़र फेकीये
दिल्लगी न दिल्लगी न कीजिये साहब
माशाअल्ला, कहना तो माना, बन गया बिगड़ा ज़माना
तुमको हँसा दिया, प्यार सीखा दिया
शुक्रिया तो शुक्रिया तो कीजिये साहब