आइने के सौ टुकड़े करके हमने देखे हैं - The Indic Lyrics Database

आइने के सौ टुकड़े करके हमने देखे हैं

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - कुमार सानू | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - मां | वर्ष - 1991

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आइने के सौ टुकड़े करके हमने देखे हैं -२
एक में भी तन्हा थे ( सौ में भी अकेले हैं ) -२
आइने के सौ टुकड़े ...जो बना था एक साथी वो भी हमसे छूटा है
बेवफ़ा नहीं जो वो ( फिर क्यूँ हमसे रूठा है ) -२
खोई खोई आँखों में आँसुओं के मेले हैं
एक में भी तन्हा थे ...उसका क्या हाल होगा यही ग़म सताता है
( दर्द बढ़ता जाता है ) -२
ज़िन्दगी की राहों में लोग हमसे खेले हैं
एक में भी तन्हा थे ...हर तरफ़ उजाला है दिल में एक अंधेरा है
सामने वो कब आएगा ( जो छुपा सवेरा है ) -२
मेरा दिल जिगर देखो कितने दर्द झेले हैं
एक में भी तन्हा थे ...