गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - हमराही | वर्ष - 1963
View in Romanमन रे, तू ही बता क्या गाऊँ
कह दूं अपने दिल के दुखड़े या आँसू पी जाऊँ
जिसने बरबस बाँध लिया है
इस पिंजरे में कैद किया है
कब तक मैं उस पत्थर दिल का जी बहलाती जाऊँ
नींद में जब ये जग सोता है
मैं रोती हूँ, दिल रोता है
मुख पे झूठी मुस्कानों के कब तक रंग चढ़ाऊँ