जमाने ने मारे जवां कैसे कैसे - The Indic Lyrics Database

जमाने ने मारे जवां कैसे कैसे

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - लच्छी राम | फ़िल्म - मैं सुहागन हूं | वर्ष - 1964

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ज़माने ने मारे जवान कैसे कैसे
ज़माने ने मारे जवान कैसे कैसे
ज़मीं खा गई आसमान कैसे कैसे
ज़माने ने मारे जवान कैसे कैसे

पीला थे जो कल रंग में फूल में
कही खो गए राह की धूल मै
पीला थे जो कल रंग में फूल में
कही खो गए राह की धूल मै
हुए दरबदर कारवां कैसे-कैसे
ज़माने ने मारे जवान कैसे कैसे
ज़मीं खा गई आसमान कैसे कैसे
ज़माने ने मारे जवान कैसे कैसे

हज़ारो के तन कैसे शिशे हो चुर
जला धुप में कितनी आँखों का नूर
हज़ारो के तन कैसे शिशे हो चुर
जला धुप में कितनी आँखों का नूर
ही चहरे पे गम के निशाँ कैसे-कैसे
ज़माने ने मारे जवान कैसे कैसे
ज़मीं खा गई आसमान कैसे कैसे
ज़माने ने मारे जवान कैसे कैसे

लहू बन के बहते वो आंसू तमाम
की होगा इन्ही से बहारो का नाम
बनेगे अभी आशियाँ कैसे-कैसे
ज़माने ने मारे जवान कैसे कैसे.