छीन के दिल क्यूँ फेर लीं आँखें - The Indic Lyrics Database

छीन के दिल क्यूँ फेर लीं आँखें

गीतकार - शकील | गायक - रफ़ी, शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - चांदनी रात | वर्ष - 1949

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दाता तोरी दया से अब देस हमारा

दाता तोरी दया से अब देस हमारा

जो देस कल नहीं था वो देस फिर हमारा

चमका है बादलों से

टूटा हुआ सितारा

जो देस कल नहीं था वो देस फिर हमारा

देस हमारा

अपनी शरन में राखो प्रभु

हमें राखो प्रभु

जो देस कल नहीं था वो देस फिर हमारा

जो देस कल नहीं था वो देस फिर हमारा

भगवन ये भक्त तेरे क्यूँ कर ना गीत गायें

मन की बना के माला चरनों पे हम चढ़ायें

मन की बना के माला चरनों पे हम चढ़ायें

ये डगमगाता बेड़ा तुमने ही पार उतारा

ये देस फिर हमारा

जो देस कल नहीं था वो देस फिर हमारा

जो देस कल नहीं था नहीं था वो देस फिर हमारा

हो पतली कमरिया मोरी

हो बालमा बलमा

हो बालमा

नैन मिला के किया क्या इशारा

ये प्यारा प्यारा

जो देस कल तक नहीं था वो देस फिर है हमारा

हो हो मैं तो ऐ मैया मरी

हो बालमा बलमा

हो बालमा

दिल लूट के ले गया है आँखों का तेरी काजल

ओ हो हो हो

तू नैन होवे नैना

छोड़ो तो मोरा आँचल

ओ हो पतली कमरिया मोरी

हो बालमा बलमा

हो बालमा

ये दिल किसी का दिल है

तोड़ो न दिल हमारा

जो देस कल नहीं था वो देस फिर है हमारा