मन क्यूं ऐसे बहके है ये क्या हो रह हैं - The Indic Lyrics Database

मन क्यूं ऐसे बहके है ये क्या हो रह हैं

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - शंकर महादेवन, नयन, अर्नब, कुनाल | संगीत - शंकर एहसान लॉय | फ़िल्म - ये क्या हो रहा है | वर्ष - 2002

View in Roman हर इक परी अप्सरा चाहिए
हसीनाएँ जो आएँ फ़ौरन सबको झुका दें हम
शरमा के हुस्न कहे
ये क्या हो रहा ...तुम प्यार को खेल समझे मेरे लिए ज़िंदगी है
शायद मेरे सारे दिल में चाहत कोई बस गई है
हैं दिल के जो नग़्में अब क्यूँ न किसी को सुना दें हम
हो हम गाएँ दोहराएँ
ये क्या हो रहा ...
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तुम तुम तुम तुम तुतुम
मन क्यूँ ऐसे बहके है
तन क्यूँ ऐसे दहके है हाय
दिल क्यूँ ऐसे धड़के हैं
शोले कैसे भड़कें हैं
नस नस में आग बहे
ये क्या हो रहा है
ये क्या हो रहा ...हम हैं जवां दिल जवां है
दिल में जवां अरमां हैं
कोई हसीं है तो होगा
हमसा भी कोई कहाँ है
इक पल जो देखें तो पत्थर को पिघला दें हम
हो पत्थर भी बोल पड़े
ये क्या हो रहा ...दिलकश किसी को जो पाऊँ
क्या सोचता हूँ बताऊँ
चाहूँ जो पाना मैं उसको
खुद ही कहीं खो न जाऊँ
फिर हो के दीवाने खुद को ही न भुला दें हम
जो देखे कहने लगे
ये क्या हो रहा ...ये what's happeningक्या हो रहा हैजो भी दिलरुबा हमको चाहिये
हर इक परी अप्सरा चाहिए
हसीनाएँ जो आएँ फ़ौरन सबको झुका दें हम
शरमा के हुस्न कहे
ये क्या हो रहा ...तुम प्यार को खेल समझे मेरे लिए ज़िंदगी है
शायद मेरे सारे दिल में चाहत कोई बस गई है
हैं दिल के जो नग़्में अब क्यूँ न किसी को सुना दें हम
हो हम गाएँ दोहराएँ
ये क्या हो रहा ...