छाया मेरी उम्मीद की दुनिया में अंधेरा अब ये किसे मालूम है कब होगा सवेरा - The Indic Lyrics Database

छाया मेरी उम्मीद की दुनिया में अंधेरा अब ये किसे मालूम है कब होगा सवेरा

गीतकार - शकील | गायक - शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - चांदनी रात | वर्ष - 1949

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चुपके से दिल में आ बसे, रह के नज़र से दूर दूर

चुपके से दिल में आ बसे, रह के नज़र से दूर दूर

जिन के क़दम से घर था घर, हैं वोही घर से दूर दूर

होगी ना कम ये बेकली, ढूँढेंगे हम गली गली

छानेंगे दरबदर की ख़ाक, आप के दर से दूर दूर

हम पे तरस न खाइये, घर में तो अपने आइये

देखेंगे दिल की आँख से, रह के नज़र से दूर दूर

चुपके से दिल में आ बसे, रह के नज़र से दूर दूर