आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ - The Indic Lyrics Database

आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ

गीतकार - गुलजार | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - मरासिम | वर्ष - 1999

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आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ
उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ
चूल्हें नहीं जलाये या बस्ती ही जल गई
कुछ रोज़ हो गये हैं अब उठता नहीं धुआँ
आँखों के पोछने से लगा आँच का पता
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ
आँखो से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमान यह घरमें आये तो चुभता नहीं धुआँ
उठता तो है घटा सा बरसता नहीं धुआँ
आँखो मे जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ