ये भी कोई रूठने का मौसम - The Indic Lyrics Database

ये भी कोई रूठने का मौसम

गीतकार - मजरूह | गायक - आशा: | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - सोलवां साल | वर्ष - 1958

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(ये भी कोई रूठने का मौसम है दीवाने)
क़िस्मत से आते हैं प्यार के ज़ामाने
ये भी कोई रूठने ...
(देखो सावन डोले, भीगी ज़ुल्फ़ें खोले)
मानो रे ओ भोले
ओ भोले बाबु, ओ भोले
ओ भोले भाले बाबु,ओ भोले
देखो रुकते नहीं हैं बहार के ज़माने
ये भी कोई रूठने ...
(धड़कन के ये गाने, चितवन के अफ़साने)
सुन सुन ओ दीवाने
(दीवाने तू क्या जाने दीवाने)
अजी मिलते कहाँ हैं क़रार के ज़माने
ये भी कोई रूठने ...
(दिल से दिल जोड़ो भी, दो नैना मोड़ो भी)
ओ सैंया छोड़ो भी
(छोड़ो भी बलमा, सैंया छोड़ो भी)
कहीं बीते न यूँ ही ये प्यार के ज़माने
ये भी कोई रूठने ...$