परदेसी क्यूँ याद आता है - The Indic Lyrics Database

परदेसी क्यूँ याद आता है

गीतकार - जोश मलिहाबादी | गायक - सितारा कानपुरी | संगीत - एस के पाल | फ़िल्म - मन की जीत | वर्ष - 1946

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पतली कमर है तिरछी नज़र है

पतली कमर है तिरछी नज़र है

खिले फूल सी तेरी जवानी

कोई बताये कहाँ क़सर है

ओऽ आजा मेरे मन चाहे बालम

आजा तेरा आँखों में घर है

मैं चंचल मदमस्त पवन हूँ

झूम झूम हर कली को चुमूँ

बिछड़ गयी मैं घायल हिरणी

तुमको ढूँढूँ बन बन घूमूँ

मेरी ज़िंदगी मस्त सफ़र है

पतली कमर है

तुम बिन नैनों की बरसातें

रोक न पाऊँ लाख मनाऊँ

मैं बहते दरिया का पानी

खेल किनारों से बढ़ जाऊँ

बँध न पाऊँ

नया नगर नित नयी डगर है

पतली कमर है