डाल भी दे पलकों की छाँव जलिमा धूप चढ़ी जाये - The Indic Lyrics Database

डाल भी दे पलकों की छाँव जलिमा धूप चढ़ी जाये

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता - रफी | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - रामू दादा | वर्ष - 1961

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डाल भी दे पलकों की छाँव जलिमा धूप चढ़ी जाये
लो ना सनम पलकों का नाम, प्रीत मे प्रीत बढ़ी जाये
काहे तेरा जलता दिल है बेचारा
आता नही आँचल हाथ तुम्हारा
ये रंगीन घटा पा के हवा उड़ सी जाये
ये क्या हुआ उलझी चाल तुम्हारी
देखो ना जी लट फिर बिखरी हमारी
ना क्यों जाये बिखर हमसे नज़र लड़ती जाये
दुनिया कहे सजना प्यार बुरा है
यही ना हो तो ये दुनिया भी क्या है
ये मैं देख रही चाह तेरी बढ़ती जाये