ये बहारों के दिन ये सुहाना समाँ - The Indic Lyrics Database

ये बहारों के दिन ये सुहाना समाँ

गीतकार - शकील | गायक - लता, रफी | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - कुंदन | वर्ष - 1955

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ये बहारों के दिन
ये सुहाना समाँ
( अब तो सुन लीजिये
प्यार की दास्ताँ )
ये बहारों के दिन
हो हो हो
हा हा हा
ओ ओ ओ
आज गाते चलो
मुस्कुराते चलो
मस्तियाँ ज़िन्दगी की लुटाते चलो
अब नहीं कोई ग़म
अपनी मंज़िल पे हम
आ गये हैं सनम
दोनों साथी मिले
बन गया कारवाँ
( अब तो सुन लीजिये
प्यार की दास्ताँ )
ये बहारों के दिन
हो हो हो
हा हा हा
आ आ आ
आ आ आ
हो ओ ओ
तुम हमारे हुये
हम तुम्हारे हुये
मिल गये दो मोहब्बत के मारे हुये
तेरे दम से सनम
है ये दिल का चमन
प्यार की अन्जुमन
ज़िन्दगी है हसीँ
आरज़ू है जवाँ
अब तो सुन लीजिये
प्यार की दास्ताँ
ये बहारों के दिन
हो हो हो
हा हा हा
ये बहारों के दिन
ये सुहाना समाँ
( अब तो सुन लीजिये
प्यार की दास्ताँ )
ये बहारों के दिन
हो हो हो$