ये निर कहां से बरसे हैं - The Indic Lyrics Database

ये निर कहां से बरसे हैं

गीतकार - पद्मा सचदेव | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - प्रेम पर्वत | वर्ष - 1973

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#हुम्मिन्ग#(ये नीर कहाँ से बरसे है
ये बदरी कहाँ से आई है) -२
ये बदरी कहाँ से आई हैगहरे गहरे नाले गहरा गहरा पानी रे
गहरे गहरे नाले, गहरा पानी रे
गहरे मन की चाह अनजानी रे
जग की भूल-भुलैयाँ में -२
कूँज कोई बौराई हैये बदरी कहाँ से आई हैचीड़ों के संग आहें भर लीं
चीड़ों के संग आहें भर लीं
आग चनार की माँग में धर ली
बुझ ना पाये रे, बुझ ना पाये रे
बुझ ना पाये रे राख में भी जो
ऐसी अगन लगाई हैये नीर कहाँ से बरसे है ...पंछी पगले कहाँ घर तेरा रे
पंछी पगले कहाँ घर तेरा रे
भूल न जइयो अपना बसेरा रे
कोयल भूल गई जो घर -२
वो लौटके फिर कब आई है -२ये नीर कहाँ से बरसे है
ये बदरी कहाँ से आई है