और कुछ देर ठहर और कुछ देर न जा - The Indic Lyrics Database

और कुछ देर ठहर और कुछ देर न जा

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - आखिरी खाट | वर्ष - 1966

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और कुछ देर ठहर और कुछ देर न जा
रात बाकी है अभी रात में रस बाकी है
पाके तुझको तुझे पाने की हवस बाकी है
जिस्म का रंग फ़ज़ा में जो बिखर जाएगा
मेहरबां हुस्न तेरा और निखर जाएगा
लाख ज़ालिम है ज़माना मगर इतना भी नहीं
तू जो बाहों में रहें वक़्त ठहर जाएगा
ज़िंदगी अब इन्ही कदमों पे लूटा दूँ तो सही
ऐ हसीन बुत मैं ख़ुदा तुझको बना दूँ तो सही