हो ओ आ पनघट पै एक छबीली - The Indic Lyrics Database

हो ओ आ पनघट पै एक छबीली

गीतकार - कमाल अमरोही | गायक - एच खान मस्ताना | संगीत - मीर साहब | फ़िल्म - मैं हारी / हार | वर्ष - 1940

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परदेसी क्यूँ याद आता है

परदेसी क्यूँ याद आता है

परदेसी क्यूँ याद आता है

इक चाँद छमक कर जन्गल में

छुपछुप कर ऊधे बदल में

जब सपना सा दिखलाता है

परदेसी क्यूँ याद आता है

परदेसी

पूरब से पवन जब आती है

जब कोयल कूक सुनाती है

जब बादल घिर के आता है

परदेसी क्यूँ याद आता है

परदेसी

हिरधे की घनेरी छाओं का

अर्मानों का आशाओं का

जब घूंघत पत खुल जाता है

परदेसी क्यूँ याद आता है

परदेसी

जब बीते दिन याद आते हैं

बदल की तरह मंडलाते हैं

जब घायल दिल घबराता है

परदेसी क्यूँ याद आता है

परदेसी