क़िस्मत में डूबना है मौजों से क्या डरेंगे - The Indic Lyrics Database

क़िस्मत में डूबना है मौजों से क्या डरेंगे

गीतकार - शकील | गायक - लता | संगीत - सरदार मलिक | फ़िल्म - चोर बाजार | वर्ष - 1954

View in Roman


क़िस्मत में डूबना है मौजों से क्या डरेंगे-2
मालिक के आसरे पे कश्ती को छोड़ देंगे
कश्ती को छोड़ देंगे
मिला जायेगा हमें भी तूफ़ान में किनारा

दर-दर की ठोकरें हैं कोई नहीं सहारा
अब मेरी ज़िंदगी है टूटा हुआ सितारा
दर-दर की ठोकरें हैं$