तुझसे बिछड़ के ज़िंदा हैं - The Indic Lyrics Database

तुझसे बिछड़ के ज़िंदा हैं

गीतकार - सलाहुद्दीन परवेज़ | गायक - अनुराधा पौडवाल | संगीत - आनंद - मिलींद | फ़िल्म - यादों के मौसम | वर्ष - 1997

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तुझसे बिछड़ के ज़िंदा हैं
जान बहोत शर्मिन्दा हैं
तपती दोपहरी में तेरी आहट दिल में आती थी
बारिश से एक दिल के अंदर रिमझिम राग सुनती थी
अब हम और तपती दोपहरी बीच में यादें ज़िंदा हैं
शाम को अक्सर छत पे आकर डूबता सूरज तकती थी
तो उसकी सब लाली जानम हाथ की मेहंदी लगती थी
मेहंदी तू नाराज़ ना होना हम तुझसे शर्मिन्दा हैं
हम रहते थे तुझसे लिपट कर तो कितना सच लगता था
सर्द अँधेरी रात में जानम एक दिया सा जलता था
अब तेरी बिरहा की रातें मिस्ल तेरे ताबिन्दा हैं