चुपके से, चुपके से रात की चादर तले - The Indic Lyrics Database

चुपके से, चुपके से रात की चादर तले

गीतकार - गुलजार | गायक - साधना सरगम | संगीत - ए. आर. रहमान | फ़िल्म - साथिया | वर्ष - 2002

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दोस्तों से झूठी मूठी दूसरों का नाम ले के
तेरी मेरी बातें करना, यारा रात से दिन करना
लम्बी जुदाई तेरी बडा मुश्किल है आहों से दिल भरना
यारा रात से दिन करना
कब ये पूरी होगी, दूर ये दूरी होगी
रोज़ सफर करना, यारा रात से दिन करना
चुपके से, चुपके से रात की चादर तले
चांद की भी आहट ना हो, बादल के पीछे चले
जले कतरा कतरा, गले कतरा कतरा
रात भी ना हिले आधी आधी ये
चुपके से, लग जा गले रात की चादर तले
फरवरी की सर्दियों की धूप में
मूंदी मूंदी अँखियों से देखना
हाथ की आड से, नीम्मी नीम्मी ठंड और आग में
हौले हौले मारवा के राग में, मीर की बात हो
दिन भी न डूबे रात न आए, शाम कभी न ढ़ले
शाम ढ़ले तो सुबह न आए, रात ही रात चले
दोस्तों से झूठी मूठी दूसरों का नाम ले के
तेरी मेरी बातें करना, यारा रात से दिन करना
लम्बी जुदाई तेरी बडा मुश्किल है आहों से दिल भरना
यारा रात से दिन करना
कब ये पूरी होगी, दूर ये दूरी होगी
रोज़ सफर करना, यारा रात से दिन करना
तुझ बिना पगली ये पुरवई, आके मेरी चुनरी में भर गई
तू कभी ऐसे ही, आ गले लग जैसे ये पुरवई
साथिया, सुन तू, कल जो मुझको नींद ना आए पास बुला लेना
गोद में अपनी सर रख लेना, लोरी सुना देना
चुपके से, लग जा गले रात की चादर तले
चांद की भी आहट ना हो, बादल के पीछे चले