हाय छोरे की जात बड़ी बेवफ़ा - The Indic Lyrics Database

हाय छोरे की जात बड़ी बेवफ़ा

गीतकार - शकील | गायक - लता, जी एम दुर्रानी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - चांदनी रात | वर्ष - 1949

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हम अपने दिल का फ़साना

हम अपने दिल का फ़साना
उन्हें सुना न सके
लगी है आग़ जो -2
दिल में उसे बुझा न सके
हम अपने दिल का फ़साना
उन्हें सुना न सके

( तेरी तलाश में दर-दर की
ठोकरें खाईं ) -2
मेरी वफ़ा के क़दम फिर भी
डगमगा न सके

लगी है आग़ जो -2
दिल में उसे बुझा न सके
हम अपने दिल का फ़साना
उन्हें सुना न सके

( ज़रा तो सोच के उस दिल का
हाल क्या होगा
हाल क्या होगा ) -2
जो दूर रह न सके
तेरे पास आ न सके

लगी है आग़ जो -2
दिल में उसे बुझा न सके
हम अपने दिल का फ़साना
उन्हें सुना न सके

हम उनको याद न करते
पे दिल का क्या कीजे -2
हज़ार भूलना चाहा
मगर भुला न सके

लगी है आग़ जो -2
दिल में उसे बुझा न सके
हम अपने दिल का फ़साना
उन्हें सुना न सके