यही अरमान लेकर आज, अपने घर - The Indic Lyrics Database

यही अरमान लेकर आज, अपने घर

गीतकार - शकील | गायक - रफी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - शबाब | वर्ष - 1954

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यही अरमान लेकर आज, अपने घर से हम निकले
जहाँ है ज़िंदगी अपनी, उसी कूचे में दम निकले
यही...
सितारों जगमगाओ तुम, बहारों मुस्कुराओ तुम
मेरी उजड़ी हुई मुहब्बत की, हँसी मिल कर उड़ाओ तुम
जिन्हें सजदे किए हमने, वो पत्थर के सनम निकले
यही...
तमन्ना यही है अब तो, मेरा सर हो तेरा दर हो
न आँसू कोई आँखों में, न शिकवा कोई लब पर हो
अगर यूँ मौत आ जाए तो अपने दिल से ग़म निकले
यही...$