जब हम चलें तो साथ हमारा साया भी ना दे - The Indic Lyrics Database

जब हम चलें तो साथ हमारा साया भी ना दे

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - प्यासा | वर्ष - 1957

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जब हम चलें तो साथ हमारा साया भी न दे
जब तुम चलो ज़मीं चले आस्मां चले
जब हम रुकें तो साथ रुके शम-ए-बेकसी
जब तुम रुको बहार रुके चाँदनी रुकेये हँसता हुआ फूल, ये महका हुआ गुलशन
ये रँग और नूर में डूबे हुए राहेंये फूलों का रस पीके मचलते हुए भंवरे
मैं दूँ भी तो क्या दूँ ऐ शोख नज़ारों
ले दे के मेरे पास कुछ आँसू हैं, कुछ आहेंओ आस्मां-वाले कभी तो निगाह कर -२
अब तक ये ज़ुल्म सहते रहे ख़ामोशी से हम
तंग आ चुके हैं कशमाकश-ए-ज़िंदगी से हमठुकरा न दे जहाँ को कहीं बे-दिली से हम
मायूसी-ए-मक-ए-मुहब्बत न पूछिये
अपनों से पेश आइये, हैं बे-गांगेगी से हमआवाज़: भाई, कोई खुशी का गीत सुनाओहम ग़मज़दा हैं, लाएं कहाँ से खुशी के गीत
देंगे वोही हो पाएंगे इस ज़िंदगी से हमग़र कभी मिले ज़िंदगी को इत्तेफ़्फ़ाक़ से
पूछेंगे अपना हाल, तेरी बेबसी से हमउभरेंगे एक बार अभी दिल के वलवले
माना के दब गए हैं ग़म-ए-ज़िंदगी से हमलो आज हमने तोड़ दिआ रिश्ता-ए-उम्मीद
लो अब कभी ग़िला न करेंगे किसी से हम