अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं - The Indic Lyrics Database

अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं

गीतकार - जान निसार अख्तर | गायक - मुकेश | संगीत - Nil | फ़िल्म - Nil | वर्ष - Nil

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अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं
कुछ शेर फकत उनको सुनाने के लिए हैं
अब ये भी नहीं ठीक के हर दर्द मिटा दे
कुछ दर्द कलेजें से लगाने के लिए हैं
आँखों में जो भर लोगे तो काँटों से चुभेंगे
ये ख्वाब तो पलकों पे सजाने के लिए हैं
देखूँ तेरे हाथों को तो लगता है तेरे हाथ
मंदिर फकत दिप जलाने के लिए हैं
सोचो तो बड़ी चीज़ है तहज़ीब बदन की
वरना तो बदन आग बुझाने के लिए हैं
ये इल्म का सौदा ये रिसालें ये किताबें
इक शख्स की यादों को भुलाने के लिए हैं