अरे यार मेरी तुम भी हो गज़ब - The Indic Lyrics Database

अरे यार मेरी तुम भी हो गज़ब

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - किशोर कुमार - आशा भोसले | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - तीन देवियाँ | वर्ष - 1965

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अरे यार मेरी तुम भी हो गज़ब, घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
आहा मनाओ कहा अब तुम हो जवां मेरी जान लड़कपन छोड़ो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
कोई जो मुझको हाथ लगाएगा, हाथ न उसके आऊँगी
में तेरे मन की लाल परी हूँ रे, मन में तेरे उड़ जाऊँगी
तुम परी तो ज़रूर हो, पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
देख के तरसे लाख ये भँवरे और इन्हें तरसाऊँगी
तेरी गली की एक कली हूँ तेरे गेले लग जाऊँगी
तुम कली तो ज़रूर हो, पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
डाल के घुँघटा रूप को अपने और नहीं मैं छुपाऊँगी
सुंदरी बन के तेरी बलमवा आज तो मैं लहराऊँगी
सुंदरी तो ज़रूर हो, पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया मलमल की
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी