गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - हेमंत कुमार | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - हाउस नंबर 44 | वर्ष - 1955
View in Romanचुप है धरती, चुप हैं चाँद सितारे
मेरे दिल की धड़कन तुझको पुकारे
खोये खोये से ये मस्त नज़ारें
ठहरे ठहरे से ये रंग के धारें
ढूँढ रहे हैं तुझको साथ हमारे
कोने कोने मस्ती फैल रही है
बाहें बनकर हस्ती फैल रही है
तुझ बिन डूबे दिल को कौन उभारे
निखरा निखरा सा है चाँद का जोबन
बिखरा बिखरा सा है नूर का दामन
आ जा मेरी तनहाई के सहारे