चली पीई के नगर मोरे बांके बलम कोतवाली - The Indic Lyrics Database

चली पीई के नगर मोरे बांके बलम कोतवाली

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - सहगान, शमशाद बेगम | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - मिर्जा गालिब | वर्ष - 1954

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श : चली पी के नगर
अब काहे का डर
मोरे बाँके
हो मोरे बाँके बलम कोतवाल -२
को : चली पी के नगर अब काहे का डर
मोरे बाँके
हो मोरे बाँके बलम कोतवाल
श : हो मोरे बाँके बलम कोतवालश : अपने पिया की
को : अपने पिया की
श : मैं पटरानी
मारूँ नजरिया दिल होवे छलनी
को : मारूँ नजरिया दिल होवे छलनी
श : मेहंदी से हथेली है लाल
हो
को : मेहंदी से हथेली है लाल
मोरे
हो मोरे बाँके बलम कोतवाल
श : हो मोरे बाँके बलम कोतवालश : बन के दुल्हनिया मैं इतराऊँ
को : बन के दुल्हनिया मैं इतराऊँ
श : अब न किसी से आँख मिलाऊँ
को : अब न किसी से आँख मिलाऊँ
श : मोहे देखे ये किसकी मजाल
हो
को : मोहे देखे ये किसकी मजाल
मोरे
हो मोरे बाँके बलम कोतवाल
श : हो मोरे बाँके बलम कोतवालश : घर में बलम के
को : घर में बलम के
श : राज करूँगी
सास-ननद से मैं ना डरूँगी
को : सास-ननद से मैं ना डरूँगी
श : देवरा को में दूँदी निकाल
हो
को : देवरा को में दूँदी निकाल
मोरे
हो मोरे बाँके बलम कोतवाल
श : हो मोरे बाँके बलम कोतवालको : चली पी के नगर अब काहे का डर
मोरे बाँके
हो मोरे बाँके बलम कोतवाल
श : हो मोरे बाँके बलम कोतवाल