बताउँ बात तो ये हैं प्यार के नज़ारे हुल्ले हुल्ला रे - The Indic Lyrics Database

बताउँ बात तो ये हैं प्यार के नज़ारे हुल्ले हुल्ला रे

गीतकार - प्रेम जालंधरी | गायक - सहगान, आशा भोंसले | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - एक थी रीता | वर्ष - 1971

View in Roman

बताऊँ बात तो बातों से बात बढ़ती है
और छुपाऊँ तो यह बात सर पे चढ़ती है
उधर की बात न बिगड़े इधर की बात रहे
बचाके बात हमें बात यह कहनी पड़ती हैक्या ?ये हैं प्यार के नज़ारे, हुल्ले हुल्ला रे, हुल्ले हुल्ला रे
निगाहों के हसीं इशारे, हुल्ले हुल्ला रे, हुल्ले हुल्ला रेकभी नखरा कभी झगड़ा कभी शोख़ी कभी ग़ुस्सा -२
न यह इन्कार न इक़रार इस में जीत है न हार
तौबा इश्क़ का व्योपार कैसा खेल है प्यारे
जो इस टकरार को ही प्यार कहते हैं तो हम हारे
ये हैं प्यार के नज़ारे ...कभी बादल कभी बिजली कभी गुड़िया कभी तितली -२
कहीं महकी हुई ज़ुल्फ़ें कहीं बहकी हुई नज़रें
जो बढ़कर रोक ले राहें तो अपना दोष क्या प्यारे
के हम तो देखते हैं शोख़ पे अंदाज़ तो मारे
ये हैं प्यार के नज़ारे ...