जय जगदिश हरे - The Indic Lyrics Database

जय जगदिश हरे

गीतकार - जयदेव | गायक - हेमंत, गीता | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - आनंद मठ | वर्ष - 1952

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हरे मुरारे मधु कैटभ हारे
गोपाल गोविन्द मुकुन्द शौरे
प्रलय पयोधि जले, ध्रुतवन असि वेदम
विहित वहित्र चरित्रम अखेदम
केशव, ध्^Rत मिन शरिर, जय जगदिश हरे
णोव ग़ेएत cओमेस इन विथ थे लस्त लिने ओफ़ थे श्लोक, व्हिच इस उसेद ब्य
ज़य्देव अस थे रेफ़्रैन, विथ ओन्ल्य थे नमे ओफ़ थे इन्cअर्नतिओन चन्गिन्ग.
षे इस cओन्स्तन्त्ल्य सिन्गिन्ग इन थे बcक्ग्रोउन्द, इफ़ ःएमन्त्द इस रेcइतिन्ग थे
श्लोक इन थे फ़ोरेग्रोउन्द. Wहेन हे स्तोप्स, शे इस इन थे फ़ोरेग्रोउन्द विथ
हेर बेऔतिफ़ुल वोइcए. ईन्cरेदिब्ले! केशव, ध्रुत मिन शरिर, जय
जगदिश हरे
चलयसि विक्रमने, बलिम अद्भुत वमन
पद नख निर जनित जन पवन
केशव, ध्^Rत वमन रुप, जय जगदिश हरे
वितरसि दिक्शु रने, दिक-पति कमनियम
दश-मुख मोउलि बलिम रमनियम
केशव, ध्^Rत रम शरिर, जय जगदिश हरे
निन्दसि यज्न्य विदेर-अहह श्रुति जतम
सदय ह्रुदय दर्शित पशु घतम
केशव, ध्^Rत बुद्ध शरिर, जय जगदिश हरे
म्लेच्च निवह निधने कलयसि करवलम
धुमकेतुम इव किमपि करलम
केशव, ध्^Rत कल्कि शरिर, जय जगदिश हरे
आत थे एन्द ओफ़ थे सोन्ग, थेरे इस अ ग्रेअत श्लोक (व्हिच इस अल्सो उसुअल्ल्य
सोन्ग इन
थे भजन त्रदितिओन) व्हिच इस अ सुccइन्cत सुम्मर्य ओफ़ थे दश-अवतर
(पेर
ज़य्देव).एरे इस थत श्लोक:
वेदन उद्धरते, जगन-निवहते, भुगोलम उद-बिभ्रते
दैत्यम दरयतेम बलिम चलयते, क्शत्र क्शयम कुर्वते
पोउलस्यम जयते, हलम कलयते, करुन्यम अतन्वते
म्लेच्चन मुर्चयते, दशक्रुति क्रुते, ख़्रुश्नय तुभ्यम नमः.