कल जलेगा चंद सारी रात: - The Indic Lyrics Database

कल जलेगा चंद सारी रात:

गीतकार - उद्धव कुमार | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - निर्मोही | वर्ष - 1952

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कल जलेगा चाँद सारी रात
रात भर होती रहेगी आग की बरसातबज रहे थे घुँघरू जो बादलों के पाँव में
कल वही रोएँगे झर-झर आस्माँ की छाँव में
कह न पाएँगे सितारे अपने दिल की बात
कल जलेगा चाँद ...तुम उधर सो जाओगे सपनों के मीठे राग में
मैं इधर जलती रहूँगी चाँदनी की आग में
ख़ून बन कर दिल बहेगा आँसुओं के साथ
कल जलेगा चाँद ...