चांद घटाने लगा रात ढलाने लगी - The Indic Lyrics Database

चांद घटाने लगा रात ढलाने लगी

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - गीता दत्त | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - शार्त | वर्ष - 1954

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चाँद घटने लगा रात ढलने लगी
आरज़ू मेरे दिल की मचलने लगी ओ ओमेरी निंदिया से बोझल ये अखियाँ कहें
पार बैठो ज़रा कुछ कहें कुछ सुने
ठंडी ठंडी हवा अब चलने लगी
आरज़ू मेरे दिल की ...रात जाती है झोली में तारे लिए
राह तकते हैं पर हम तुम्हारे लिए
सोई सोई कली आँख मलने लगी
आरज़ू मेरे दिल की ...दीप तारों के बुझने से पहले सनम
आज कहना है जो कुछ भी कह ले सनम
आग सुलगी हुई देख जलने लगी
आरज़ू मेरे दिल की ...